स्पोर्ट्स फिजियो पांच तरीको से करते है ऑनफील्ड इंजरी का ट्रिटमेंट !

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कोरोना की जंग से आगे निकलते हुए अब हर खेल में खिलाड़ी मैदान और अपने गेम पर फोकस कर रहा है। पीजी डिप्लोमा ऑनफील्ड स्पोर्ट्स इंज्युरी मैनेजमेंट, चेन्नई तथा वर्तमान में कंसलटेंट फिजियो संजीवनी हॉस्पिटल बिलासपुर की डॉक्टर मार्टिना जॉन से हुए बातचीत में हमने स्पोर्ट्स इंज्युरी और चोट से बचने या लगने की दशा में क्या उपाय करना चाहिए को लेकर विस्तार से बातचीत किया। डॉक्टर मार्टिना ने हमसे बात करते हुए बताया की खिलाड़ी ग्राउंड से कनेक्ट हो रहे है, ऐसे में ऑन फील्ड इंज्युरी को लेकर सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है। डॉक्टर ने सलाह देते हुए बताया कि, सबसे पहले सभी खेल से सम्बंधित खिलाड़ियों को यह समझना पड़ेगा की कोविड की वजह से प्रॉपर वार्म अप, एक्ससरसाइज, और प्रैक्टिस कही न कही प्रभावित हुआ है ऐसे में ग्राउंड पर एकदम से दम लगाने से इंज्युरी का जोखिम बना रहता है। प्रत्येक खिलाड़ियों को सही स्ट्रेचिंग, न्यूट्रीसियस और प्रॉपर डाइट एवं खेल के दौरान सभी प्रोटेक्शन किट के साथ मैदान पर जाने की सलाह डॉक्टर मार्टिना खिलाड़ियों को देती है।

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Tanay

खिलाड़ियों को अगर कोई ऑन फील्ड इंज्युरी हो जाता है ऐसे में कैसे उसको केयर करे और क्या करना चाहिए के सवाल पर डॉक्टर ने हमसे बात करते हुए कहा की इन परिस्थितियों में पांच तरीके से ट्रिटमेंट किया जाता है जिसे सामान्य शब्दों में प्राइस ट्रीटमेंट कहा जाता है।

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प्राइस ट्रीटमेंट में डॉक्टर चोटिल स्थान को प्रोटेक्शन या सपोर्ट देते है, खिलाड़ी के चोटिल होने पर उन्हें किसी भी एक्टिविटी नहीं करने देना चाहिए और प्रॉपर रेस्ट करना चाहिए, चोट लगने के ७२ घंटे तक आइसिंग करने से दर्द, सूजन दोनों में खिलाड़ी को राहत मिलती है, चोटिल स्थान को कंप्रेस करके रखना भी महत्वपूर्ण है जिसमे बैंडेज आदि का इस्तेमाल करना उचित होगा , अंत में चोट ग्रस्त जगह को प्रॉपर एलिवेशन कराया जाता है जिससे जल्द रिकवरी हो सके। इस प्रकार के ट्रीटमेंट को प्राइस ट्रीटमेंट कहते है जो गंभीर चोट लगने की स्थिति में भी खिलाड़ियों के जल्द स्वस्थ होकर मैदान में लौटने में बेहद कारगर होता है। डॉक्टर जॉन ने आगे जोड़ते हुए कहा की इंज्युरी भी दो प्रकार से खिलाड़ियों को लगती है जिसमे पहला हार्ड इंज्युरी होता है, जिसमे चोट निर्धारित स्थान पर ही लगता है दूसरे प्रकार में अप्रत्यक्ष चोट भी लगता है जिसमे दर्द चोट ग्रस्त जगह से दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो जाता है, जिसमे हड्डियों का रिलोकेट होना या सॉफ्ट टिश्यू इंज्युरी हो सकता है। इस प्रकार के इंज्युरी खिलाड़ियों के लिए बेहद पेनफुल होता है। डॉक्टर मार्टिना ने ऐसे चोट से उबरने के लिए कहा की स्पोर्ट्स फिजियो कोर को मजबूत करने पर जोर देते है, जो बॉडी में किसी भी प्रकार के चोट से जल्द उबरने में सहयक होते है। फंक्शनल कोर स्ट्रेंग्थनिंग एक्ससरसाइज होते है जो मस्सल आदि को मजबूत करने में बेहद फायदेमंद होता है। डॉक्टर मार्टिना कहती है की फिजियो खिलाड़ियों का कोर टेस्ट करते है और इससे खिलाड़ी के प्रॉपर स्ट्रेंथ का पता चल जाता है जो उनके गेम को डेवेलोप करने में मदद करते है। डॉक्टर ने इस सम्बन्ध में समझाते हुए बताया की खिलाड़ी के किसी भी मूवमेंट का त्रि स्तरीय प्रभाव होता है ऐसे में यदि खिलाड़ी का कोर बैलेंस सही नहीं है तो उसे लगातार चोटिल होने की सम्भावना बानी रहेगी। डॉक्टर मार्टिना ने बताया की चोट से खिलाड़ी अपने आप को फिजियो की सलाह से बचा सकते है, विशेष रूप से फैट युक्त या हाई फाइबर वाले भोजन को नहीं लेना उचित होगा। लो फाइबर और कार्ब्स को डाइट में शामिल करे ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करे एवं चोट लगने पर मैग्नीशियम सप्लीमेंट या आयल लगाए जो बहुत जल्द आराम पहुचायेगा। खेलने जाने से पहले और खेल कर आने के बाद सही मात्रा में डाइट लेते रहे, जो की पोषक तत्वों के बैलेंस को बनाकर रखने में बेहद कारगर होंगे।

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