अगर 1 मिनट में 10 बार से ज्यादा आपकी आख झपकती है तो हो जाइए सावधान!! आइए जानिए क्यू!

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माना जाता है कि एक आम इंसान एक मिनट में कम से कम 10 बार पलकें झपकाता है। वहीं अगर 10 से ज़्यादा बार पलकें झपकती हैं तो फौरन किसी आई एक्‍सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।

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Tanay

हमारी आंखें किसी नियामत से कम नहीं हैं, इसलिए शरीर के हर अंग की तरह आंखों का ख्याल रखना भी बेहद ज़रूरी है। प्रदूषण, लैपटॉप, टीवी, मोबाइल, धूल-मिट्टी, तनाव और भी ना जाने क्या-क्या, यह सब धीरे-धीरे हमारी आंखों के दुश्मन बनते चले जा रहे हैं। पहले साफ पानी के छीटों से ही आंखें तरोताज़ा हो जाती थीं, लेकिन अब आंखों को कहीं ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत है।

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कहीं आंखों में दिक्कत तो नहीं!

माना जाता है कि एक आम इंसान एक मिनट में कम से कम 10 बार पलकें झपकाता है। वहीं, अगर 10 से ज़्यादा बार पलकें झपकती हैं तो फौरन किसी आई एक्‍सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए। दरअसल, ये ब्लेफरोस्पाज्म बीमारी के लक्षण हो सकते हैं जिसमें बार-बार पलकें झपकती हैं। ऐसा करने से आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और पलकों में दर्द भी होने लगता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर इस बीमारी का समय पर इलाज न हो, तो आंखों की रौशनी तक जा सकती है। दरअसल, ब्लेफरोस्पाज्म में मांसपेशियों की सिकुड़न के कारण पलकें पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे आंखों की रौशनी ख़त्म हो सकती है। आंखों के डॉक्‍टरों के मुताबिक तो ब्लेफरोस्पाज्म में पलकों को उठाने में परेशानी होती है। वहीं आंखें सामान्य से ज्यादा छोटी दिखाई देने लगती हैं और तनाव से सिर दर्द भी शुरू हो जाता है।

दिमाग़ पर भी पड़ सकता है असर

इस बीमारी में व्‍यक्‍त‍ि की एक या दोनों आंखें प्रभावित हो सकती हैं। एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक कभी-कभी इस समस्या से व्यक्ति के चेहरे की बनावट भी बदल जाती है, लेकिन उसके देखने की क्षमता प्रभावित नहीं होती। समय बीतने पर यह समस्‍या मांसपेशियों, नसों, मस्तिष्क या आंखों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

इलाज के तौर पर ऐसे करें आंखों की एक्‍सरसाइज़

  • बाएं हाथ के अंगूठे को बिल्कुल सीधा रखते हुए बाकी अंगुलियों से मुट्ठी बंद कर लें। बाएं हाथ को कंधों की ऊंचाई तक सीधा सामने की ओर उठाकर रखें। अब आंखों को बिना झपकाए अंगूठे पर केंद्रित रखें। ऐसा कम से कम 5 बार करें।
  • अब बाएं हाथ को सामने से हटाकर धीरे-धीरे बायीं ओर ले जाएं। उस समय दृष्टि भी अंगूठे पर केंद्रित रखते हुए बांयी ओर ले जाएं। ध्यान रहे कि चेहरे को स्थिर रखते हुए सिर्फ आंखों को ही बायीं ओर ले जाना है। यह क्रिया दांयी ओर भी करें।
  • चेहरे को सामने की ओर स्थिर रखकर आंख की पुतलियों को ज़्यादा से ज़्यादा ऊपर की ओर ले जाएं। पुतलियों को तब तक ऊपर रखें, जब तक आंखों में जलन के साथ पानी न निकलने लगे। यह क्रिया नीचे, दायीं और बायीं ओर से भी करें।

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